History Of GOLGHAR Bihar - बिहार का दर्शनीय स्थल गोलघर - इतिहास

बिहार के अद्भुत दर्शनीय स्थल गोलघर का बारे में जानकारी।

गोलघर, भारत के पटना शहर में स्थित एक अद्वितीय ऐतिहासिक स्मारक है जिसका नाम सुनते ही हमें उस समय की याद आती है जब इसे ब्रिटिश साम्राज्य के शासनकाल में भूख-मारी से बचाव का साधन बनाया गया था। कैप्टन जॉन गार्सटिन नामक इंजीनियर के नेतृत्व में 1786 में इसे बनाया गया था और उस दौरान कई रोचक घटनाएँ और इतिहासिक तथ्य जुड़े हैं जो इसे अनूठा बनाते हैं।


निर्माण और योजना:

गोलघर का निर्माण भूख-मारी से बचाव के उद्देश्य से किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य था भूख-मारी के समय जनता को खाद्य सामग्री पहुंचाना और इससे आगामी किसानों को उत्तेजना मिले। इस भव्य निर्माण की योजना को कैप्टन जॉन गार्सटिन ने बनाई थी और निर्माण कार्य 1786 में प्रारंभ हुआ था। गोलघर की विशेषता यह है कि यह एक बड़े बाण स्तर को चित्रित करता है जिसे 'बीहाइव' कहा जाता है। इसकी दीवारें बड़ी मोटी होती हैं और उच्च ऊचाई पर एक छज्जा बना होता है जो इसे आकर्षक बनाता है।

गोलघर का निर्माण विफलता:

हालांकि गोलघर एक आकर्षक और महत्वपूर्ण निर्माण है, इसका प्रारंभिक उद्देश्य भूख-मारी से बचाव के लिए खाद्य संग्रहण केंद्र के रूप में कार्य करना था, लेकिन इसमें कुछ तकनीकी दुर्भाग्य था। इसमें नीचे से दरवाजा नहीं होने के कारण अनाज भरना संभावना से बाहर था और इसलिए


 कभी भी इसे पूरी क्षमता से भरा नहीं जा सका। इस तकनीकी अयोग्यता के कारण गोलघर का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका और यह एक बड़ी साझेदारी की विफलता हुई।


गोलघर का प्रसार:

गोलघर का नाम उसके आकार से ही आया है, जो एक बड़े गोलाकार भंडार की तरह है। इसकी ऊचाई 29 मीटर और व्यास 125 मीटर है जो इसे आकर्षक बनाता है। इसमें एक बड़ा स्थायी दरवाजा शामिल है जो इसे खोलने के लिए बनाया गया है और इसे भरने के लिए अनाज की आवश्यकता के हिसाब से बनाया गया है। गोलघर की यह विशेषता भी है कि इसमें कोई सुपोर्टिंग बीम या इंटरनल स्ट्रक्चर का उपयोग नहीं हुआ है, इसलिए यह बड़ी आश्चर्यजनक रूप से खड़ा है और इसके बीहाइव का निर्माण किया गया है।


गोलघर का नाटकीय परिप्रेक्ष्य:

गोलघर ने अपने समय के संदर्भ में एक विशेष भूमिका निभाई है। इसने उस समय के आत्मविश्वास, तकनीकी ज्ञान, और इरादे की गहरी श्रद्धांजलि दी है जब भूख-मारी एक गंभीर समस्या बन गई थी और लोग उससे निपटने के लिए नई राहें ढूंढ रहे थे। इसके निर्माण ने न केवल उस समय के समाज को एक सुरक्षित स्थान प्रदान किया बल्कि उसके साथ-साथ आज के आधुनिक भारत को भी एक महत्वपूर्ण स्मारक दिया है जो हमें अपने इतिहास और उसके साथ जुड़ी महत्वपूर्ण शिक्षाएं देता है।


गोलघर का आधुनिक समय में उपयोग:

इसके बावजूद कि गोलघर का मूल उद्देश्य भूख-मारी से बचाव के लिए था, आजकल यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है। गोलघर का विशाल बीहाइव, आकर्षणीय दृश्य, और इसके इतिहासिक महत्व ने इसे पर्यटकों के लिए एक मनोहर स्थल बना दिया है। इसकी सुंदरता और अद्वितीय डिजाइन ने लोगों को खींचा है और गोलघर को एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बना दिया है। यह भूख-मारी के खिलाफ एक विजयी प्रयास का प्रतीक होने के साथ-साथ आज के दौर के लोगों को भी प्रेरित करता है। गोलघर का सामाजिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक महत्व आज भी बना हुआ है और लोगों को इसके माध्यम से अपने इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के प्रति सजग करता है।

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निष्कर्ष:

गोलघर की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि एक ऐतिहासिक स्मारक न केवल अपने कार्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो सकता है, बल्कि यह आज के समय में भी एक महत्वपूर्ण और प्रभावी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में बना रह सकता है। यह एक सुनहरा उदाहरण है कि कैसे एक पर्यटन स्थल भी अपने मूल उद्देश्य के साथ-साथ एक समृद्धि और शिक्षाएं प्रदान कर सकता है।

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